बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र :- व्यक्तित्व , व्यक्तित्व की परिभाषाएं , प्रभावित करने वाले कारक, व्यक्तित्व का मापन, व्यक्तित्व के प्रकार



व्यक्तित्व

  • व्यक्तित्व शब्द लैटिन भाषा के persona से आया जिसका अर्थ मुखौटा है अर्थात व्यक्ति जैसा मुखौटा लगाएगा, उसी प्रकार के व्यवहार का प्रदर्शन करेगा।
जैसे :- नाटक में पात्र जैसा मुखौटा लगाता है वैसे ही व्यवहार का प्रदर्शन करता है।

  • व्यक्तित्व को परिभाषित करना कठिन कार्य है यहां तक कहा गया कि व्यक्तित्व बैंक के खाली चेक के समान है जिस पर मानव व्यवहार का कुछ भी लिखा जा सकता है लेकिन 1937 में ऑलपोर्ट ने उस समय की परिभाषा ओं को इकट्ठा किया और निचोड़ के रूप में एक परिभाषा दी जो आज भी सर्वमान्य है।

परिभाषाएं:-

  • आलपोर्ट के अनुसार व्यक्तित्व व्यक्ति की मनोदेहिक घोड़ों का वह गत्यात्मक संगठन है जो उसके बाद आवरण के साथ अपूर्व समायोजन को निर्धारित करता है।
  • गिलफोर्ड के अनुसार व्यक्तित्व व्यक्ति के गुणों का एक समन्वित रूप है।
  • वुडवर्ड्स के अनुसार व्यक्तित्व व्यक्ति के व्यवहार की एक समग्र विशेषता है।
  • डेशील के अनुसार व्यक्तित्व व्यवहार प्रवृत्तियों का एक समग्र रूप है जो व्यक्ति के सामाजिक समायोजन में अभिव्यक्त होता है।
  • बिग और हंट के अनुसार व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के संपूर्ण व्यवहार प्रतिमान की समस्त विशेषताओं का योग है।
व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक -:

1. जैविक कारक:- 


A. अनुवांशिकता व गुणसूत्रों में दोष-:
बालक के शरीर की रचना में अनुवांशिकता का प्रभाव होता है अगर अनुवांशिकता के कारण शरीर में कोई दोष आ जाए तब वह व्यक्तित्व को प्रभावित करता है।
मानव शरीर में 23 गुणसूत्र होते हैं जो कि जोड़ों में पाए जाते हैं ,अगर किसी कारण दो के स्थान पर तीन गुणसूत्र हो जाए तब जो बालक पैदा होगा वह मानसिक मंद होगा, इसे मंगोलिज्म कहते हैं ,इसका दूसरा नाम डाउन सिंड्रोम भी है ,इस मानसिक मंदता को जिस वैज्ञानिक ने बताया था उनका नाम डाउन था।
एक अन्य मानसिक मंदता जो थायराइड ग्रंथि के समस्या के कारण आती है उसे मानसिक मंदता क्रेटीनिज्म कहते हैं।

B. अंतः स्रावी ग्रंथियां:-
यह ग्रंथियां बालक का कद आवाज का मोटा पतला होना ,शरीर पर बालों का होना इत्यादि को प्रभावित करती है इन ग्रंथियों से जो पदार्थ निकलते हैं उन्हें हार्मोन कहते हैं अगर इनके कारण शरीर में कोई दोष आ जाए तब वह छात्र को व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं इसलिए शिक्षक को इस बात का ज्ञान हो कि हार्मोन शरीर को प्रभावित करते हैं तब वह अपने छात्र के व्यक्तित्व के प्रकार समझ सकता है।

2. मनोवैज्ञानिक कारक-:


१.द्वंद्व -: conflict
जब व्यक्ति के सामने  प्रतिस्पर्धात्मक लक्ष्य आ जाए और उनमें से एक का चुनाव करना हो अब द्वंद पैदा होता है।
द्वंद्व मुख्यतः तीन प्रकार का होता है-
A. उपागम-उपागम द्वंद्व
B. उपागम-परिहार द्वंद्व
C. परिहार -परिहार द्वंद्व

२. नैराश्य/ कुंठा -: frustration
जब एक छात्र लक्ष्य पाने को अभी प्रेरित हो और बाधाएं उसे लक्ष्य तक न पहुंच पाने दे तब नैराश्य पैदा होता है जो व्यक्तित्व पर ऋनात्मक प्रभाव डालता है।

३. तनाव -: stress
जब किसी व्यक्ति पर आवश्यकता से अधिक या अनुचित मांग रख दी जाए जो उसके अस्तीत्व को खतरे में डाल दें तब तनाव पैदा होता है।
तनाव वस्तुनिष्ठ नहीं होता आत्म निष्ठ होता है अर्थात एक घटना एक व्यक्ति में तनाव पैदा कर सकती है और वहीं घटना दूसरे को आनंद की स्थिति में ला सकती है।

तनाव के दुष्परिणाम-: 1 जैविक 2 मनोवैज्ञानि क
तनाव के कारण शरीर में कुछ लोग पैदा हो सकते हैं जैसे रक्तचाप का बढ़ना अल्सर का होना इन लोगों को मनोदेहिक रोग कहते है।
तनाव के कारण कुछ समय के लिए स्मृति का लॉक हो जाता है ध्यान केंद्रित नहीं होता और उस सोचने का तरीका बदल जाता है इसे मानसिक रोग कहते हैं।

४. आवश्यकता:
जब व्यक्ति के अंदर किसी वस्तु की कमी है शरीर में कोई वस्तु अधिक हो जाए तब आवश्यकता पैदा होती है
आवश्यकता है दो प्रकार की होती है
प्राथमिक आवश्यकता और गोण आवश्यकता
प्राथमिक आवश्यकता को जन्मजात आवश्यकता भी कहा गया है और कौन आवश्यकता को सामाजिक आवश्यकता भी कहते हैं

५. अभिवृत्ति -: attitude
अभिवृत्ति का अर्थ जब छात्र किसी व्यक्ति वस्तु घटना आदि के बारे में एक दृष्टिकोण अपनाता है यह दृष्टिकोण धनात्मक हो सकता है ऋण आत्मक हो सकता है और तटस्थ हो सकता है।
अभिवृत्ति मैं 3 चरण होते हैं 
ज्ञानात्मक, भावात्मक और क्रियात्मक


3. सामाजिक कारक -:

सामाजिक कारकों को मनो सामाजिक कारक भी कहते हैं क्योंकि समाज के कारण मानसिक विशेषताओं पर प्रभाव पड़ता है।

१. परिवार -:

 

a. अनुशासन के दोहरे मापदंड-:
अनुशासन के दोहरे मापदंड का अर्थ एक व्यवहार पर पुरस्कार देना और उसी व्यवहार पर दंड देना अगर यह व्यवहार लगातार रहेगा तब छात्र के व्यक्तित्व में मूल्यों का विकास नहीं होगा।

 

b. अति संरक्षण बनाम न्यूनतम संरक्षण -:
अति संरक्षण का अर्थ आवश्यकता से अधिक ध्यान देना और न्यूनतम संरक्षण का अर्थ बिल्कुल ध्यान न देना
अति संरक्षण से बालक के व्यक्तित्व में स्वतंत्रता का विकास नहीं होगा तथा से बालक अपराधिक प्रवृत्ति की तरफ बढ़ सकता है।

२. विद्यालय -:

 

a. शिक्षक -: 
एक शिक्षक छात्र के लिए एक आदर्श होता है अगर वह प्रतिमान /आदर्श ऋण आत्मक है तब बालक के व्यक्तित्व पर ऋण आत्मक प्रभाव पड़ेगा।

 

b. मित्र मण्डली -:
जैसे मित्रों में वैसा ही बालक के व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ेगा अगर मित्रों का व्यवहार रचनात्मक है तब व्यक्तित्व पर धनात्मक प्रभाव पड़ेगा और अगर मित्र गलत आदतों के शिकार हैं तब व्यक्तित्व पर ऋण आत्मक प्रभाव पड़ेगा।

 

C. संस्कृति -:
अगर शिक्षक को अपने छात्र की संस्कृति का ज्ञान है तब वह उसके व्यक्तित्व को समझ सकता है क्योंकि संस्कृति के मूल्य संस्कार मिलते हैं

 

व्यक्तित्व का मापन-: 


1. निर्धारण मापनी rating scale :-

इस विधि में व्यक्तित्व के जिन गुणों का मापन करना हो उसकी सूची बना ली जाती है और तीन बिंदु 5 बिंदु या अधिक की मापनी का निर्माण कर लिया जाता है छात्र के जिन गुणों का मापन करना हो उनका निर्धारण इस मापनी पर कर लिया जाता है इस विधि को निर्धारण मापनी कहते हैं इस विधि का उपयोग शिक्षक तभी कर सकता है जब उसके और छात्रों के बीच पहले से अंतः क्रिया हो चुकी हो।
यद्यपि व्यक्तित्व मापन की यह विधि आसान है लेकिन विधि में तीन दोष है
१ हेलो प्रभाव
२ केंद्रीय प्रभाव
३ उदारता व कठोरता की त्रुटि

2. केस इतिहास विधि -:

इस विधि को केस अध्ययन विधि के नाम से भी जाना जाता है इतिहास शब्द का अर्थ घटनाओं को समय के अनुसार क्रम बद्ध करना इतिहास कहलाता है इसका अर्थ वह छात्र जिस के व्यक्तित्व का अध्ययन किया जा रहा है बालक का इतिहास उस दिन से आरंभ हो जाता है जिस दिन से माने उसे गर्भ धारण किया उस दिन से वर्तमान तक की महत्वपूर्ण घटनाओं को क्रम बद्ध करना केस इतिहास कहलाता है

3. समाजमितिय विधि :-

इस विधि को मोरिनो ने दिया यह विधि छात्रों के पारस्परिक संबंधों का अध्ययन करती है

मनोवैज्ञानिक परीक्षण :-
व्यक्तित्व मापन की पहली मानकीकृत प्रश्नावली वुडवर्ड्स ने बनाई जो सैनिकों के संवे गों की स्थिरता मापन करती थी
व्यक्तित्व मापन की परीक्षणों को तीन भागों में बांटा जा सकता है

a स्थितीजनक परीक्षण -:
इस विधि में व्यक्तित्व के जिन गुणों का मापन करना हो वह स्थिति पैदा कर दी जाती है और छात्र के व्यक्तित्व का अध्ययन कर लिया जाता है

b व्यक्तित्व प्रश्नावली -;
व्यक्तित्व प्रश्नावली को दो भागों में बांटा गया है।

एक अंशी प्रश्नावली-:
जिस व्यक्तित्व प्रश्नावली के द्वारा एक समय में व्यक्तित्व के एक ही गुण का मापन हो उसे एक अंशी कहते हैं।

बहू अंशी प्रश्नावली-:
किस प्रश्नावली के द्वारा एक समय में एक से अधिक व्यक्तित्व के गुणों का मापन किया जाता है उसे बहू अंशी प्रश्नावली कहते हैं।

मुख्य बहु अंशी व्यक्तित्व प्रश्नावली निम्न प्रकार है
  1. मॉडस्ले व्यक्तित्व प्रश्नावली- इस प्रश्नावली को मोडस्ले व्यक्तित्व प्रश्नावली के नाम से जाना जाता है इसे आईजिंक ने दिया यह परीक्षण अंतर्मुखी बहिर्मुखी और मनो स्नायु दुर्बलता का मापन करता है।
  2. मिनेसोटा बहु अंशी व्यक्तित्व प्रश्नावली -:इस प्रश्नावली को अमेरिका के मिनेसोटा विश्वविद्यालय में काम करने वाले हाथावे और मेकर की नीले ने बनाया यह परीक्षण एक साथ 10 विमाओं का मापन करता है।
  3. 16 pf परीक्षण -: इस परीक्षण को केटल ने बनाया जो एक साथ 16 कारकों का मापन करता है।
  4. Epps परीक्षण -: एडवर्ड वैयक्तिक प्राथमिक मापनी -: इस परीक्षण को एडवर्ड ने बनाया यह परीक्षण एक साथ15 गोण आवश्यकताओं को मापन करता है ।
  5. Neo व्यक्तित्व प्रश्नावली -; इस प्रश्नावली को मेकोस्ता और मेकग्रे ने बनाया ये 5 कारकों का मापन करता है।

प्रक्षेपण विधि -:

प्रक्षेपण शब्द का सबसे पहले फ्राइड ने प्रयोग किया था लेकिन व्यक्तित्व मापन में इसे फ्रैंक ने प्रसिद्ध प्रदान की प्रक्षेपण विधि की धारणा यह है कि अगर छात्र के सामने अपेक्षाकृत अस्पष्ट सामग्री प्रस्तुत कर दी जाए और छात्र को उसकी व्याख्या करने को कहा जाए तब वह व्याख्या वैसे ही करेगा जो उसकी सोच होगी अर्थात जो उसके मन में होगा इस विधि को प्रक्षेपण विधि कहते हैं।

  1. TAT थिमेटिक अपरसेप्शन टेस्ट -: इस परीक्षण को 1935 में अमेरिका में हार्वर्ड में मोरगन और मरे ने बनाया। इस परीक्षण में मूल रूप से 30 कार्ड है इन के माध्यम से छात्र को एक कहानी का निर्माण करना होता है।
  2. रोर्शा स्याही के धब्बे वाला परीक्षण -: 1921 में एक स्विट्जरलैंड के मनोचिकित्सक हरमन रोशा ने व्यक्तित्व मापन का एक परीक्षण बनाया जिसे रोशा स्याही के धब्बे वाला परीक्षण कहते हैं ।इस परीक्षण में 10 कार्ड हैं जिन पर स्याही के धब्बे जैसी समांतर आकृतियां बनी हुई है।
  3. रोजनविग पी. एफ. परीक्षण -: 1944 में रोज़नविग ने व्यक्तित्व मापन का एक परीक्षण बनाया जिसे रोजन वि ग पीएफ अध्ययन कहते है। इस परीक्षण में कुल 24 कार्टून है जिसमें कुछ गतिविधि करते हुए दिखाई गई है छात्र उसका उत्तर में क्या कहेगा यह उसको लिखना है।

शब्द साहचर्य परीक्षण -:
 साहचर्य शब्द का अर्थ किसी उद्दीपक को देखकर उसका संबंध किसी के साथ जोड़ना इस विधि को 1879 में galten में उपयोग किया लेकिन व्यक्तित्व मापन के लिए 1910 में युंग ने इसका उपयोग किया था इस विधि में दो प्रकार के शब्दों का निर्माण कर लिया जाता है
1 तटस्थ शब्द 
2 क्रान्तिक शब्द

व्यक्तित्व के प्रकार -: 

हिप्पोक्रेट्स में द्रव्यों के आधार पर व्यक्तित्व को चार भागों में बांटा
    1. पीला पि त्त yellow bile -: जिन लोगों में पीला पित्त अधिक होता है वह चिड़चिड़ा होते हैं तुनक मिजाजी होते हैं और बेचैन रहते हैं इनके व्यक्तित्व को कॉलरिक कहते हैं
    2. काला पित्त :- जिन लोगों में यह अधिक होता है वह उदास रहते हैं निराशावादी होते हैं इनके व्यक्तित्व को मेलनकोलिक कहा जाता है
    3. रक्त  -: जिन लोगों में यह अधिक होता है यह प्रसन्न होते हैं खुश मिजाज होते हैं इनके व्यक्तित्व को संग्विन कहा जाता है।
    4. श्लेष्मा -: यह लोग निष्क्रिय होते हैं और शांत पड़े रहते हैं इनके व्यक्तित्व को श्लेष्मा त्मक कहते हैं।
शारीरिक संरचना के आधार पर -: 
शेल्डन ने शरीर की संरचना के आधार पर व्यक्तित्व को तीन भागों में बांटा।
1 endomorphic -: यह वह लोग होते हैं जिनका कद छोटा होता है और शरीर मोटा होता है यह लोग खाने-पीने के शौकीन होते हैं आराम पसंद होते हैं मिलनसार होते हैं इनके स्वभाव को विशेरोटनिया कहा जाता है।
2 मिजोमारफिक :- ये वे लोग होते है जिनके कद और वजन में अनुपात होता है इनकी मांस पेशियों मजबूत होती है और यह आक्रामक होते हैं इनके स्वभाव को समटोटनिया कहा जाता है।
3 एक्तोमारफिक -: यह वह लोग होते हैं जो लंबे और पतले दुबले होते हैं यह संवेदनशील होते हैं जीवन में उपलब्धियों को प्राप्त करना चाहते हैं और धार्मिक स्वभाव के होते हैं इनके स्वभाव को सेरिब्रोटिनिया कहा जाता है ।

इसी प्रकार शरीर रचना के आधार पर क्रेस्मर ने भी व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया
Sheldon ने इसे एंडोमोरफिक कहा और क्रेशमर ने इसे पिकनिक कहा ।

व्यक्तित्व का मनोवैज्ञानिक वर्गीकरण -:
कार्ल युंग ने दो भागों में बांटा
1 अंतर्मुखी
2 बहिर्मुखी

रॉटर ने व्यक्तित्व को दो भागों में बांटा 
1 बाहरी नियंत्रण वाला
2 आंतरिक नियंत्रण वाला

फ्रायड का वर्गीकरण
1 ID -: ID व्यक्तित्व का वह भाग है जिसमें उठने वाली इच्छाएं गलत और सही की पहचान नहीं करती, इच्छापर्ति में
 आनंद की अनुभूति होती है इसलिए कहा गया कि ID सुख के सिद्धांत पर काम करता है।
2 EGO -: EGO व्यक्ति को सत्यता का आभास करवाता है इसलिए कहा गया कि यह वास्तविकता के सिद्धांत पर काम करता है।
3 SUPER IGO-: यह व्यक्ति को उसके मूल्य संस्कृति का आभास करवाता है इसलिए कहा गया कि यह नैतिकता के सिद्धांत पर काम करता है।

स्प्रेंगर का वर्गीकरण:-

स्प्रिंगर ने मूल्यों के आधार पर व्यक्तित्व को छह प्रकार के बताएं ।
    1. सैद्धांतिक व्यक्तित्व
    2. आर्थिक व्यक्तित्व
    3. राजनीतिक व्यक्तित्व
    4. धार्मिक व्यक्तित्व
    5. सामाजिक व्यक्तित्व
    6. कलात्मक व्यक्तित्व




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